भविष्य मालिका के अनुसार मांसाहारियों और मद्यपान करने वालों के साथ क्या होगा?: हिन्दू धर्मग्रंथों में प्रत्येक कर्म का फल निर्धारित किया गया है, और भविष्य पुराण (जिसे भविष्य मालिका भी कहा जाता है) इन विषयों पर गहन प्रकाश डालता है। आज के समय में जब मांसाहार और मद्यपान जैसी प्रवृत्तियाँ सामान्य होती जा रही हैं, तब यह जानना आवश्यक हो जाता है कि धार्मिक दृष्टिकोण से इनके क्या परिणाम होते हैं।
भविष्य मालिका के अनुसार, जो व्यक्ति मांस खाते हैं या शराब का सेवन करते हैं, उन्हें इस लोक में ही नहीं बल्कि परलोक में भी इसके दुष्परिणाम भुगतने पड़ते हैं। यह लेख इस विषय पर धार्मिक श्लोकों और पुराणिक कथनों के आधार पर विस्तार से चर्चा करेगा, जिससे हम समझ सकें कि कैसे हमारे आचरण का प्रभाव हमारे भविष्य और पुनर्जन्म पर पड़ता है।
🪔 भविष्य मालिका के अनुसार मांसाहारियों और मद्यपान करने वालों के साथ क्या होगा? – एक धार्मिक दृष्टिकोण
भविष्य मालिका पुराण आज से 600 साल पहले ओडिशा की पावन धरती पर पंच सखाओं के द्वारा रचना की गई है। मालिका का उद्देश्य इस कलियुग के अंत में भक्तों का उद्धार ही परम् उद्देश्य हैं। आज के समय में लोग मांसाहार और मदिरा का सेवन अधिक मात्रा में कर रहे हैं। इस विषय में साइंस कहती है कि नॉनवेज खाना सेहत के लिए अच्छा नहीं है और नुकसान दायक है और जो प्रोटीन एनर्जी है वो वेज खाने से भी आ सकती हैं। लोग अनेकों जानवरों को मारकर उनको खातें हैं और यही कारण हैं कि मरे हुए जानवरों के स्पर्श से कई खतरनाक बीमारियां भी जन्म लेती हैं जो मनुष्य के समझ के लिए खतरनाक हैं।
भविष्य मालिका में मांसाहार और मदिरा पान करने वालों के बारे में लिखा है –
मद मांस किया हैबे जेते क नर,
पाड़इबे बेसर्वे देविंक खप्पर।
– भविष्य मालिका(अच्युतानंद दास)
अर्थ – मालिका में कहा गया है कि जो लोग मांस, मछली और शराब का सेवन करते हैं, वे देवी के खप्पर में पड़ेंगे, जिसका अर्थ है अकाल मृत्यु। भविष्य मालिका के अनुसार, मांसाहार और मदिरा का सेवन करने वाले लोगों के लिए भविष्य में बड़े परिवर्तन होंगे और इस पृथ्वी पर रहना मुश्किल हो जाएगा।
भविष्य मालिका में ये भी लिखा है कि जो कलयुग के अंत में मालिका को जानकर स्वेच्छा से मद मांस मछली खाना बंद करता है उसको 100 साल के तप के समान फल मिलेगा. मालिका मे लिखा है –
मास माछ जे मध्यपान ए नु है मनुष्य भोजना।
और मास माछ मध्य से करई वर्जन,
सत संवत्सर तप सहित समान।।
– भविष्य मालिका(अच्युतानंद दास)
अर्थ: मांस, मछली, मद्यपान या शराब पीना ये मनुष्य के भोजन नहीं है और जो छोड़ता है उसको सत संवत्सर एवं 100 साल के तप के समान उसको फल मिलता है। मालिका में एकदम साफ साफ बोला गया है कि जो लोग मांस मदिरा का सेवन करेंगे उनके लिए इस धरती पर रहना मुश्किल हो जाएगा और अकाल मृत्यु को प्राप्त भी होंगे।
ऐसे लोगों के लिए केतकी फुल मालिका कहती है –
मांस खिया देह सही न पारी बे सुरजन का दाह,
केतकी फु छूटी ब सर्वं कसल।।
– केतकी फुल मालिका(अच्युतानंद दास)
यानी जो मांस खाने वाला देह है जो शरीर है मांस खाने वाला व सूर्य के दाह सूर्य की गर्मी को नहीं सह पाएगा और सबके प्राण छूट जाएंगे। सूर्य की इतनी गर्मी पड़ेगी जो कि मांस खाने वालों को सहन नहीं होगा और वे अपने प्राण त्याग देंगे और ठीक वैसे ही आज के समय में देखने को भी मिल रहा हैं।

आज मेडिकल साइंस भी ये बोल रही है कि शाकाहारी खाने को बनाने में जितना पानी लगता है उससे ज्यादा पानी मांसाहार खाने को बनाने में लगता है। आज मानव कई बेजुबान जानवरों को मार कर खा रहे है सिर्फ जीभ के स्वाद के लिए और इसी जीभ के स्वाद के लिए लोगों को कई खतरनाक जानलेवा रोग महामारी का सामना भी करना पड़ेगा। मांसाहार व्यक्ति ही सबसे पहले इसी महामारी का शिकार होगा। कोविड जैसे बीमारियां एक नहीं करीब 64 प्रकार की आएंगी और वे कई गुना जानलेवा साबित होगी। मालिका में ये भी लिखा है जो वैष्णव व्यक्ति या ब्राह्मण मांस भक्षण करेगा तो उसका मांस गिद्ध पक्षी भी नहीं खाएंगे और महामारी के कारण कई लोगों की मृत्यु होगी।
बेसी काल नाही लब निकट होई ब देखा,
पंच सखा माने कही जाऊ छती पुराण ई च लेखा।।
– भविष्य मालिका(अच्युतानंद दास)
अर्थ – पंच सखाओं के द्वारा कही गई ये बात जो कि पुराणों में रचना है यानी और ज्यादा समय नहीं है ये घटनाएं निकट में होते लोग देखेंगे और धीरे धीरे समय विनाश की ओर बढ़ता जाएगा। आज परम् पूज्यनीय पंडित श्री काशीनाथ मिश्र जी पूरे विश्व में धर्म प्रचार का कार्य कर रहे हैं ताकि समय रहते सभी मनुष्यों को सत्य धर्म के मार्ग पर आए और धर्म में रहकर ही कार्य करे। तो इसलिए समय रहते ही इन सब चीजों को त्यागकर प्रभु की शरण में आ जाएं और नित्य त्रिकाल संध्या , भागवत महापुराण का पठन और माधव माधव नाम जप हर रोज करिए और भगवान की कृपा प्राप्त करें।